केरल में स्थित पलक्कड़ किले का इतिहास

Palakkad Fort
Palakkad Fort

नमस्कार आपका हमारे Knowledge with ruchi.com blog मैं स्वागत है भारत अपने इतिहास और भूगोल के लिए दुनिया में प्रसिद्ध है भारत में बहुत से किले और महल बने हुए हैं जो कि अपने इतिहास के लिए जाने जाते हैं साथ ही कई प्रसिद्ध ऐतिहासिक धरोहरे भी मौजूद है जिन्हें यूनेस्को और नेशनल वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी शामिल किया गया है।

आज हम ऐसे ही एक किले के बारे में जानेंगे जिसका नाम है “पलक्कड़ किला

यदि आप ऐतिहासिक धरोहरों को देखने या उनके बारे में जानने के शौकीन है तो आर्टिकल को शुरू से अंत तक पूरा पढ़ें।

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पलक्कड़ किले का इतिहास (Palakkad Fort History in Hindi):-

Palakkad Fort
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पलक्कड़ किला एक भव्य प्राचीनतम किला है हालांकि, किले का वर्तमान स्वरूप 1766 ईस्वी में मैसूर के महान सम्राट हैदर अली द्वारा निर्मित है, 18 वीं शताब्दी की शुरुआती समय में उन्होंने अपने लिए एक स्वतंत्र राज्य की स्थापना की,

लेकिन जब ज़मोरिनों ने सन 1757 में उन पर हमला किया तो उन्होंने मैसूर के सम्राट हैदर अली से संपर्क किया और पालघाट के साथ साथ पलक्कड़ किले पर भी अधिकार जमा लिया।

कर्नल वुड ने 1768 में इस शक्तिशाली किले पर कब्जा कर लिया था, परन्तु जल्द ही हैदर अली ने किले को वापस हासिल कर लिया और कर्नल फुलर्टन ने सन 1783 में किले पर अपना अधिकार जमा लिया

उस के कुछ समय बाद ज़मोरिन के सैनिकों  के द्वारा किले पर कब्ज़ा कर लिया गया, लेकिन लंबे समय तक वह भी किले पर शासन न कर सके और अंग्रेजो के द्वारा कर्नल स्टुअर्ट के शासनकाल के दौरान सन 1790 में किले पर अधिकार जमा लिया गया

उसके बाद इस प्राचीनतम किले को सन 1900 में एक कार्यालय में परिवर्तित कर दिया गया

पलक्कड़ किले की वास्तुकला (Architecture of Palakkad Fort):-

Palakkad Fort
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पलक्कड़ किला केरल के सभी प्राचीनतम और प्रसिद्ध किलो में से एक माना जाता है यह किला भारत के केरल शहर में स्थित है जो कि प्रेरकों के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है

जो प्रसिद्ध फ्रांसीसी वास्तु कला से निर्मित है इतना ही नहीं इस किले की वास्तुकला में हिंदू इस्लामी शैली को भी देखा जा सकता है यह किला 1 वर्ग के आकार का बना हुआ है जो कि लगभग 60,702 वर्ग मीटर के क्षेत्रफल में फैला हुआ है

यह किला सह्याद्रिस पर्वतमाला की तलहटी में घने जंगलों और तिरछी नदियों की भूल भुलैया में स्थित है जो कि शहर के मध्य में है किले में तालुक आपूर्ति कार्यालय, उप जेल और भूमि अधिग्रहण कार्यालय जैसी सुविधाएं भी मौजूद है

साथ ही किले के अंदर हनुमान जी का प्रसिद्ध मंदिर भी है और अधिकारियों के द्वारा किले बाहर विशाल इतिहास संग्रहालय और कार्यालय स्थानांतरित करने की योजना भी बनी है,

Palakkad Fort
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पहले किले के अंदर प्रवेश एक ड्रॉब्रिज के माध्यम से होता था लेकिन अब इसे एक स्थाई पुल में परिवर्तित कर दिया गया है किले के परिसर में एक विशाल मैदान भी बना हुआ है जहां पर प्राचीन समय में टीपू सुल्तान के घोड़े और हाथियों को रखा जाता था

जिसे कोटा मैदानम के नाम से जाना जाता है लेकिन वर्तमान समय मे इसे प्रदर्शनियों, क्रिकेट मैचों और सार्वजनिक समारोह के लिए उपयोग में लिया जाता है यहां एक ऑडिटोरियम भी मौजूद है जिसे रेवाड़ी के नाम से जाना जाता है

इतना ही नहीं किले में कई प्रसिद्ध मंदिर स्तंभ उद्यान भी मौजूद है जो किले की सुंदरता पर चार चांद लगाते हैं जिनमें से कुछ अंजनेय स्वामी मंदिर,शहीद स्तंभ, हनुमान मंदिर, शिलावाटिका,एक मूर्तिकला पार्कऔर ‘वडिका’ उद्यान है

पलक्कड़ किले से संबंधित कुछ विशेष बातें (Some Special Things Related to Palakkad Fort) :-

Palakkad Fort
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ग़ुलामों का व्यापार –

इतिहासकारों का ऐसा कहना है कि हैदर अली के शासनकाल के दौरान गुलामों का व्यापार किया जाता था जिसमें एक गुलाम को 200 से 250 पानम में खरीदा जाता था और बाल दासियां को 100 पानम में खरीदा जाता था

लेकिन जब अंग्रेजों ने 1790 में किले पर कब्जा कर लिया था तब इस पर भी अपना पूरा अधिकार जमा लिया और उन्होंने कुछ परिवर्तन भी किए, जिसमें एक जेल की स्थापना की गई जो अभी भी वहां देखी जा सकती है

लेकिन कोठियों में रहने वाले स्थानीय स्वामी और सरदारों ने ब्रिटिश शासन के सामने झुकने से मना कर दिया था

त्रावणकोर पर हमले की योजना –

टीपू सुल्तान और कोच्चि के राजा राम वर्मा सक्थान थंपुरन में सन 1788 में बैठक के दौरान टीपू सुल्तान ने त्रावणकोर पर करने की योजना बनाई और राजा राम वर्मा से इस के लिए मदद भी मांगी लेकिन उन्होंने इस बात को चतुराई से टाल दिया

उसके बाद टीपू सुल्तान ने त्रावणकोर के महाराजा कार्तिक थिरुनलको एक पत्र लिखा था, जिसमें उन्होंने राज्य पर आधिपत्य की मांग की गई थी

टीपू सुल्तान का राशिफल –

एक बार पलक्कड़ किले में मचत्त इलयाथु नाम का एक ज्योतिषी आया और अपने साथ एक सोने की जंजीर से बंदा तोता भी साथ लाया था, ज्योतिषी का कहना था की वे भविष्यवाणी करते हैं

तो टीपू सुल्तान ने तोते की भविष्यवाणी करने को कहा, तो ज्योतिषी ने कहा कि तोता कुछ और समय जीवित रहेगा यह सुनकर टीपू सुल्तान ने अपनी तलवार निकाली और तोते पर वार किया, परंतु उनका निशाना चूक गया और तोते की जंजीर कट गई और वह वहां से उठ गया

इसके बाद टीपू सुल्तान ने ज्योतिषी पर भरोसा कर लिया और अपनी कुंडली भी बनवाई, ज्योतिषी का कहना था कि टीपू सुल्तान पलक्कड़ किले के अंदर लंबे समय तक ना रहे क्योंकि इससे उनके जीवन को खतरा है

पलक्कड़ किले का रहस्य (Mystery of Palakkad Fort) :-

Palakkad Fort
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इतिहासकारों का कहना है कि इस किले की खास बात यह है कि इस किएल में एक खाई मौजूद है जो भरी गर्मी में भी सूखती नहीं है, यह एक रहस्य बना हुआ है जिसका पता आज तक नहीं चल सका है, और यह खाई मजबूत चट्टानों से बनी हुई है और उसकी चौड़ाई इतनी है कि एक साहसी घुड़सवार भी उस पर छलांग नहीं लगा सकता

यह किला अर्थशास्त्र में वर्णित “माही दुर्गम” और “जला दुर्गम” दोनों की विशेषताओं को प्रदर्शित करता है इसके किले में प्रवेश उत्तर की ओर से है लेकिन इसका दरवाजा पश्चिम की ओर है

पलक्कड़ किले के अग्रभाग का निर्माण टीपू के शासनकाल के दौरान किया गया था। प्रवेश द्वार के खंभे, बीम और सजावट हिंदू डिजाइन में हैं। किले के भीतर की संरचनाएं श्रीरंगम और आगरा में पाई जाने वाली संरचनाओं के समान हैं। यह इस्लामी कला का एक संकेत है।

मैसूर के शासक ने गढ़ों के साथ पलक्कड़ किले को मजबूत करके अपनी दस हजार सैनिकों की सेना को लंबे समय तक सुरक्षित रखने की आशा की। यह उनकी आक्रामक क्षेत्र रणनीति का हिस्सा था।

पलक्कड़ किले के आसपास पर्यटक स्थल (Tourist place around of Palakkad Fort):-

Palakkad Fort
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अगर आप पलक्कड़ किले में घूमने का प्लान बना रहे है तो आप को बता दे की केरल में पलक्कड़ किले के अलावा भी कई प्रसिद लोकप्रिय पर्यटक स्थल है जो किले के नजदीक ही स्थित है जो बेहत ही प्रसिद भी माने जाते है जहाँ आप को पलक्कड़ की यात्रा के दोरान अवश्य जाना चाहिए।

  • अल्लेप्पी – पूर्व का वैनिस
  • मुन्नार – हनीमून गंतव्य
  • वायनाड – साधा जीवन व संस्कृति
  • थेक्कड़ी – वन्यजीवों का स्थान
  • श्री पद्मनाभास्वामी मंदिर – धार्मिकता की गूँज
  • नेल्लीयमपैथी – प्राकृतिक वातावरण
  • थ्रिस्सुर – शास्त्रीय कला व संस्कृति का केंद्र
  • पूवर – सौंदर्यपूर्ण द्वीप
  • कोवलम – ग्रामीण जीवन व बीच का संगम
  • कोच्चि – अरब सागर की रानी
  • बेकल फोर्ट
  • वैलीपरम्ब बॅकवाटर 
  • बेकल फोर्ट बीच
  • होसदुर्ग बिच

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पलक्कड़ किले में घुमने का सही समय, खुलने का समय और प्रवेश शुल्क :-

Palakkad Fort
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घुमने का सही समय 

अगर आप पलक्कड़ किले में घूमने जाने का विचार बना रहे हैं तो हम आपको बता दें कि वैसे तो साल में आप कभी भी जा सकते हैं लेकिन अप्रैल से जून तक के महीने में ना जाए क्योंकि इन महीनों में गर्मी बहुत पड़ती है और तापमान अधिक डिग्री तक पहुँच जाता है  इसलिए आप सितम्बर से लेकर मार्च तक के महीनों में वहां घूमने जा सकते हैं इस समय मौसम ठंडा रहता है और पलक्कड़ फोर्ट बेहत खुबसूरत लगता है। और इस समय आप पलक्कड़ किले के अलावा भी केरल के ओर भी प्रसिद स्थल घूम सकते है।

खुलने का समय :-

पलक्कड़ किला सुबह 8:00 बजे से लेकर शाम को 6:00 बजे तक खुला रहता है।

प्रवेश शुल्क :-

पलक्कड़ किले में आप आराम से घूमने सकते है यहाँ घूमने के लिए कोई प्रवेश शुल्क नही है

पलक्कड़ किले तक केसे पहुंचे (How to reach Palakkad Fort) :-

ट्रेन से पलक्कड़ किले तक केसे पहुंचे :-

अगर आप ट्रेन से जाने की सोच रहे हैं तो आप को बता दे की पलक्कड़ रेलवे स्टेशन पलक्कड़ किले के सबसे नजदीक रेलवे स्टेशन है जो केवल किले से 5 किमी दूर है रलवे स्टेशन से आप बस या टेक्सी ले सकते है और किले तक पहुच सकते है।

फ्लाइट से पलक्कड़ किले तक केसे पहुंचे :-

अगर आप हवाई जहाज से जाना चाहते हैं तो बता दे की कोयंबटूर का हवाई अड्डा पलक्कड़ किले के सबसे नजदीक हवाई अड्डा है जो केवल किले से 55 किमी दूर है

कोचीन अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा भी है जो केवल किले से 140 किमी दूर स्थित है और ये सभी भारत के सभी प्रमुख शहरों से जुड़े हुए है हवाई अड्डे से आप बस या टेक्सी की मदद से किले तक पहुंच सकते है।

सड़क मार्ग से पलक्कड़ किले तक केसे पहुंचे :-

अगर आप सड़क मार्ग के रास्ते से जाना चाहते हैं तो आप खुद के साधन से भी जा सकते हैं यह केरल सड़क मार्ग के द्वारा सभी प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है और सभी शहरों में चलने वाली सार्वजनिक बसे भी आपको केरल शहर या पलक्कड़ किले तक पहुंचा सकती हैं।

पलक्कड़ किले तक पहुंचने का मेप :-

सवाल जवाब (Question Answer) :-

पलक्कड़ किले कहां स्थित है?

भारत के केरल शहर में स्थित है।

पलक्कड़ किले का निर्माण किसने किया?

हैदर अली ने।

पलक्कड़ किले की स्थापना कब हुई?

किले की स्थापना सन 1766 में हुई।

पलक्कड़ किला प्रेरकों के लिए कितने बजे खुलता और बंद होता है?

सुबह 8:00 बजे से लेकर शाम को 6:00 बजे तक खुला रहता है।

पलक्कड़ किला क्यों फेमस है?

पलक्कड़ किला अपनी रहस्यमई खाई जो कभी सूखती नहीं है और अपनी अनोखी वास्तुकला के कारण काफी फेमस है।

सबसे महत्वपूर्ण बाते (Most important topic) :-

दोस्तों की ऐतिहासिक इमारतों महलों और पर्यटक स्थलों पर यात्रा अवधि टिकट के पैसे जैसे छोटी चीजें बदलती रहती है।

यदि अगर आप को इनके बारे में पता है तो आप कमेंट में जरूर लिखें हम आपके द्वारा दी गई जानकारी जल्द ही अपडेट कर देंगे और यदि इस पोस्ट में हमसे कोई गलती हो गई है तो वह जरूर बताएं।

धन्यवाद

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